बाबाजी ने बताया ये तीन काम नहीं छोड़ोगे तो बरकत ख़तम होती जाएगी

बाबा जी की प्यारी साध संगत जी-जो चेतावनी संगत के लिए बाबा जी ने भेजी है ,अगर उस पर अमल नहीं किया ,तो फिर हिसाब बहुत भारी पड़ेगा ,खासतौर पर, आज की स्थिति को देखते हुए ,ये घटना आपको बताई जा रही है। बाबा जी के वो शब्द ,जो संगत तक पहुंचाए हैं ,वो जरूर सुने जी, तो आपको ये वीडियो, आखिर तक सुनना होगा। अगर बाबा जी की इन बातों पर अमल नहीं किया, तो बहुत ज्यादा पछताना पड़ेगा। साध संगत जी ,आज जिस बात का मैं जिक्र, हाल ही में घटी ,सच्ची घटना से कर रही हूँ ,उससे सबको ये सीखना होगा, कि कई बार हम ऐसी गलती रोज दोहरा देते हैं ,और जिसका हिसाब बहुत बाद में जा के जब देना पड़ता है, तो वो हिसाब दिया नहीं जाता ,बाबा जी की जब अपने गुरसिख से बातें होती है ,तो बाबा जी का सबसे पहला सवाल यही होता है ,कि भजन सिमरन कितना किया है ,पर जब एक गुरसिख, बाबा जी के पास पहुँचा ,तो बाबा जी ने उससे ये ना पूछकर, दूसरा सवाल किया, कि तू करता क्या है ,मतलब ,बाबा जी ने यह पूछा कि तेरा काम क्या है ? जैसे क्या बिज़नेस करता है, कैसे घर चलाता है, तो गुरसिख बोला ,बाबा जी मेरा कपड़े बेचने का काम है ? तो बाबा जी ने दूसरा सवाल किया, तू दुकान पर ग्राहक से झूठ तो नहीं बोलता, तो वो गुरसिख बोला ,बाबा जी झूठ बोले बिना दुकानदारी कैसे चलेगी ? झूठ तो बोलना ही पड़ता है ,कि मेरा दो तीन रूपए मार्जिन है, इससे ज्यादा मैं कमा भी नहीं रहा हूँ, तो बाबा जी बोले ,वैसे तो तू पूरी दुनिया से ये कहता है, कि तू सत्संगी है, पर दुकान पर बैठकर झूठ बोलता है, चला जा मेरी नज़रों के सामने से, अब बाबा जी तो जानी जान होते है,उनको सबके कर्म दिखाई देते है ,तभी तो, उस गुरसिख से भजन सिमरन का सवाल ना करके यही पूछा ,कि तेरा कामकाज क्या है ? तो अब घटना के अनुसार ,वो गुरसिख भोले भाव से बाबा जी से बोला ,बाबा जी आपको दुनियादारी के बारे में क्या पता ? दुकान पर झूठ ना बोलो ,तो दुकान चलेगी नहीं .साध संगत जी, इतना बोला है कि बाबा जी को समझा रहा है !! वो गुरसिख बाबा जी से फिर बोला ,खाना कहाँ से खाएँगे ? बाबा जी ,आपको क्या पता दुनियादारी के बारे में, अब बाबाजी मुस्कुरा दिए उसकी भोली भाली बातें सुनकर, और फिर बाबा जी बोले हमें सब पता है, इसीलिए कह रहे है ,अगर मालिक का प्यारा बनना है ,तो झूठ बोलना छोड़ना होगा ,नहीं तो यहाँ से चला जा साथ संगत जी हमारी रोजमर्रा की छोटी छोटी चतुराइयाँ बाबाजी देखते है ,तो हमें रोकने के लिए नए नए ज़रिए अपनाते है ,अब उस गुरसिख ने बाबाजी को बहुत समझाया पर बाबा जी नहीं माने ,अब बाबा जी ने उस गुरसिख को आखिर में कह दिया, कि या तो झूठ बोलना छोड़ ,या हमारी संगत छोड़ दे तो हार कर बेचारा क्या करता ,उसको बाबा जी की बात माननी पड़ी और बोला ,अच्छा बताओ बाबा जी, मुझे क्या करना होगा ? तो बाबा जी ने कहा, हमारे तीन वचन मान, तेरा कोई नुकसान नहीं होगा ,विश्वास रख ,तो गुरसिख बोला ,अच्छा बाबा जी बताओ ,क्या-क्या वचन है ,तो बाबाजी बोले- पहला वचन, कि दुकान में झूठ नहीं बोलना है ,जो सच है,वही बोलना है , दूसरा वचन, कि आज तक तूने जो उल्टा-सीधा मार्जन रखा है, उसको भूल जा, और आज के बाद सिर्फ तीन परसेंट ही मार्जन रखेगा ,यह सुनकर उस गुरसिख की तो मानो जान ही निकल गयी, इतना घबरा गया ,पर बाबा जी के मुख से निकले वचन मानने तो पड़ेंगे, फिर वो बोला ,बाबा जी इसमें तो घर के खर्चे भी नहीं निकलेंगे ,तो बाबा जी बोले ,वचन मान के तो देख ,इतने साल हो गए तुझे सत्संग सुनते हुए, अभी तक विश्वास नहीं आया क्या तुझे ,कब विश्वास करेगा, जब सब कुछ हाथ से निकल जाएगा, अब बाबा जी बोले,तीसरा वचन ,तीसरा वचन ये है, सौदा एक दाम और खरा रखना है ,तो बाबा जी ने बताए पूरे तीन वचन, पहला, कि झूठ नहीं बोलना है दुकान पर, दूसरा ,तीन परसेंट मार्जन रखना है, अगर सौ रुपए की चीज है, तो ग्राहक से सिर्फ एक सौ तीन रुपए लेने है ,और उस ग्राहक से सच बोल ,के मैं तीन रुपए ही कमा रहा हूँ,लेना है तो लो ,नहीं तो दूसरी दुकान से ले लो ,और तीसरा वचन सौदा एकदम खरा रखना है, घटिया सस्ता और बेकार सामान नहीं रखना,और भाव एक ही होना चाहिए ,वितकरा किसी के साथ नहीं करना है ,के किसी को कम में दे दिया ,तो किसी को ज़्यादा में दे दिया ,सामान एकदम सही देना है ,तो वो गुरसिख मन में सोचता है, कि बाबा जी ने कहा है तो मानना तो पड़ेगा , अब बाबा जी ने उसको कहा ,एक महीना करके तो देख ,तो गुरसिख सोचता है ,एक महीना देख लेता हूँ, एक महीने अपनी पुरानी बचत के सहारे घर का गुज़ारा कर लूँगा ,पर सतगुरु की बात तो माननी ही पड़ेगी ,मन में सोच रहा है कौन समझाए बाबाजी को , बाबा जी की बात मानकर भी दिखा देता हूँ ,अब बाबा जी को हामी भर के चला गया, कि बाबा जी जैसा आपने कहा है बिलकुल वैसा ही करूँगा , साथ संगत जी ,आप सब सुनकर हैरान होंगे ,बाबा जी ने उसको एक महीने का टाइम दिया था ,और वो वापिस आया पूरे छह महीने बाद, आँखों से आँसू बह रहे है, और वापस आकर बाबा जी के चरणों में गिर पड़ा ,रोता जा रहा है, शुकराना करता जा रहा है,और बाबा जी से रोते हुए बोल रहा है ,बाबा जी आपका शुक्र है ,जो आपने मेरी ज़िंदगी जीने का तरीका ही बदल दिया ,मैं क्या था ,और आपने मुझे कहाँ से उठाकर कहाँ बिठा दिया ,तो बाबा जी बोले ,खुलकर सबको बता, पूरी संगत को बता ,ये जो संगत बैठी हुई है ,इन सबको खुल के बता ,कि तेरे साथ क्या हुआ, तो वो गुरसिख बोला बाबा जी ,जब मैं यहाँ से गया, तो मैं यह सोच कर गया था ,एक महीने की ही तो बात है ,एक महीने तक ये वचन मान लेता हूँ
पंद्रह बीस दिन तो इतना बुरा हाल था, कि ग्राहक रुकता ही नहीं था, पर बीस दिन बाद ,सब ग्राहक ,दूसरी दुकानों से वापस मेरी दुकान पर आए ,क्योंकि उन्होंने तुलना की ,कि मेरी चीज़ ही खरी थी ,और रेट भी सबसे कम था, अब तो ऐसी हालत है ,बाबा जी, कि दुकान बाद में खोलता हूँ ,और सैकड़ों ग्राहक पहले से ही बाहर दूकान खोलने का इंतज़ार करते हैं, मार्जन चाहे तीन परसेंट है .पर मेरा मुनाफा पहले से कई गुना बढ़ गया है ,क्योंकि सेल कई गुना बढ़ गयी है ,और अब भाव ताव भी नहीं करना पड़ता ग्राहकों से ,तो मन भी शांत रहता है ,और भजन सिमरन भी अच्छे से होता है, अब सिर खपाई ही खत्म हो गयी है, सब लोग अब मार्किट में मेरी इज़्ज़त करते है ,वहा मेरे सद्गुरु ,
साथ संगत जी ,ईमानदारी में इतनी ताकत होती है, के ईमानदार इंसान की कमाई ,चाहे बहुत देर से शुरू हो, पर जब शुरू होती है तो सबका रिकॉर्ड तोड़ देती है, सत्संग में बताया जाता है, अच्छे इंसान बनो, इनमें यही सब तो आता है ,साथ संगत जी बाबा जी की सखत चेतावनी यही है कि ऐसा कोई काम मत करो, कि हिसाब दिया ना जाए ,मालिक नाराज़ हो गया, तो कहीं के नहीं रहोगे ,कम खा लो, पर मालिक को नाराज़ मत करो ,ज़्यादा के लालच में सब लोगों की मति इतनी मारी गई है ,कोई दूध में पानी मिला रहा है ,तो कोई खाने का कई गुना महंगा सामान बेच रहा है, दवाइयों के मेडिकल स्टोर हो या हॉस्पिटल ,हर जगह कई गुना फालतू पैसे लेने में लगे हुए हैं लोग ,इस महामारी में भी लोग ऐसे फायदा उठा रहे हैं कि जैसे उनका नंबर आएगा ही नहीं ,पैसे किस तरह निकलेंगे, ये नहीं जानता कोई ,क्यों आया कोरोना, इतनी तबाही इंसान ने ही मचाई है, जिसे रोकने के लिए कोरोना को आना पड़ा,और कुछ ऐसे मेडिकल स्टोर या हॉस्पिटल की हालत तो देखो ,दस रुपए की चीज़ सौ रुपए में बेच रहे हैं, कोई बीमार दवाई लेने आया है ,उस बीमार पर तो कहर टुटा ही हुआ है ,अब कोई मेडिकल स्टोर वाला फालतू पैसे किसी बीमार से लेगा ,तो अगला नंबर फिर किसका होगा ? ये तो वही वाली बात हो गयी ,अपने दुख की गठरी झिलती नहीं और दूसरों की गठरी लादने में लगे हुए हैं ,डरो ऊपर वाले के गुस्से से ,काम वासना ने इंसान को इतना गिरा दिया ,कि उसे एहसास ही नहीं कि कितनीऔरतों की ज़िन्दगी खराब की है ,कोरोना ने यहाँ लगाम लगाई, क्रोध में हर देश लड़ाई झगड़े में लगा हुआ है, और कोई अपने से कमजोर व्यक्ति पर क्रोध कर रहा है ,तो इन सबका हिसाब देने कोरोना को आना पड़ा ,लोभ मोह और अहंकार इतना हावी है सब पर ,सबको पता है एक दिन सबको जाना है तब भी इकट्ठा करने में लगे हुए है, कोरोना ने आकर यह भी बता दिया, कि ,अहंकार ना कर ,मैं गरीब अमीर नहीं देखता ,इंसान पूरा लाचार है ,फिर भी इतराता है ,और जो अपने सतगुरु के हुकुम पर हर वक्त रहता है उसे ऐसी किसी परेशानी का सामना ही नहीं करना पड़ेगा ,एक छोटे से बुखार की तरह आएगा ,और चला जाएगा .जो परेशान है उनकी मदद करो ,यही लेख में लिखा जाएगा ,जो मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं,सद्गुरु उनका ख्याल ऐसे रखते हैं , जैसे कीचड़ में कमल, कितना साफ और सुंदर दिखता है, साध संगत जी, आज की स्थिति में ऐसी महामारी में अगर हम सेवा भाव से किसी की मदद करेंगे ,तो मालिक में कमी नहींआने देनी ,और कोई ऐसा गलत काम नहीं करना है, जिससे मालिक नाराज़ हो ,तो बाबा जी की बहुत ही प्यारी साध संगत जी ,अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो लाइक ज़रूर करना जी और इस साखी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना जिससे सारी संगत को ये सीख मिल सके और अपने प्यारे बाबा जी का नाम रोशन कर सके

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