डेरे में हुई अनहोनी , सेवादारों ने छुपाया

साध संगत जी , ये सच्ची घटना सुनकर आप हैरान हो जाओगे , हुआ यूँ था की एक सेवादार जो बाबाजी की कोठी में सेवा करता था, वो बहुत सालो से सेवा कर रहा था , बड़े ही प्रेम से सेवा करता था , बाबाजी की कोठी में इतनी सफाई रखता कि कभी शिकायत नहीं आई , भला रब की सेवा में कौन शिकायत आने देगा।

एक दिन उस सेवादार की पतनी ने बाबाजी से कुछ कहने को कहा , ये सुनकर सेवादार हिल गया , हैरान परेशान हो गया, कि आजतक कभी बाबाजी से एक शब्द नहीं बोल पाया, ये बात कैसे कहूंगा और ये बात बोलनी भी बहुत ज़रूरी थी | जब भी बाबाजी पास से गुज़रते, बहुत कोशिश करता बोलने की लेकिन शब्द मानो मुख से निकल नहीं पाते | साध संगत जी रोज़ शाम को घर जाता पतनी पूछती क्या कहा बाबाजी ने तो बात को टॉल मटोल कर देता की आज बाबाजी यहाँ गए हुए थे , आज बाबाजी वहां गए हुए थे |

फिर बाबाजी का सत्संग दुसरे शहर में था वहां बाबाजी की कोठी की सेवा में भी उस सेवादार को लगाया गया | वो सेवादार बाबाजी से बात करना तो दूर , नज़रें तक नहीं मिला पाया | सत्संग समाप्त हुआ वापस डेरे आ गया , सुबह बाबाजी की कोठी की सेवा करता। दोपहर में कोई छोटा-मोटा काम करता जिससे घर का खर्चा पूरा हो पाए और रात को भजन सिमरन को पूरा समय देता।

अब क्या होता है साध संगत जी उस सेवादार को एक महीना हो जाता है लेकिन बाबाजी को कुछ नहीं बोल पाता । घर वालो का इतना दबाव था की परेशान होकर उसने खाना पीना छोड़ दिया , लेकिन सेवा पर हर रोज़ जाता।

साध संगत जी, अब क्या होता है , तीन दिन तक तो सेवा कर पाया। लेकिन चौथे दिन बाबाजी की कोठी की सीढ़ियों की सेवा कर रहा होता है, तो उसे चक्कर आते हैं और सीढ़ियों से फिसल कर सीधा नीचे गिर पड़ता है , फिर क्या होता है साध संगत जी बाबाजी अपने कमरे से बाहर आते हैं और हुकम देते हैं कि इस सेवादार को अस्पताल ले जाओ , फिर उसको अस्पताल ले जाया गया, वहां उस सेवादार को पूरे तीन दिन में होश आया , देखा तो अस्पताल में था , फिर अस्पताल वालो ने उसको छुट्टी देदी और घर जाने को कहा। उसे याद आया के एक महिना हो गया है लेकिन बाबाजी से बात न हो पाई , अब घरवालों को क्या कहूंगा।

घबराते हुए घर पंहुचा तो क्या देखता है, बेटी की शादी के लिए बाबाजी से मदद नहीं मांग पाया और लड़के वाले बैठे हुए हैं। उन्हें देखते ही वापस जाने लगता है, इतने में आवाज़ आती है , समधी जी रुकिए , आप तो छुपे रुस्तम निकले, एक महीने से आपके बाबाजी के सेवादार हमारे संपर्क में हैं। शादी बड़ी धूम धाम से करने की व्यवस्था की है बाबाजी ने , ये सुनकर उस सेवादार के आंसू रूकने न पाए और सोचता है कि जिस दिन से मैं बाबाजी से बोलने की कोशिश कर रहा था उस दिन से बाबाजी ने मेरी बेटी की शादी के इंतजाम भी शुरू कर दिए थे और सेवादारो को भी पता था लेकिन उन्होंने भी मुझे कुछ नहीं बताया । साध संगत जी, हमारे सतगुरु तो जानी जान है , हमारा हर पल ध्यान रखते हैं।

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