तूफ़ान और भूकंप की चपेट में आए सत्संगी | बाबाजी वहीँ पर थे | क्या हुआ ??

toofan and earthquake

साध संगत जी आप जानते ही हैं की प्राकर्तिक आपदाएं जैसे तूफ़ान और भूकंप किसी को बता कर नहीं आते, सिर्फ सतगुरु ही जानते हैं की कब क्या होगा | साध संगत जी हुआ युँ था के अभी कुछ दिनों पहले बाबाजी विदेश में थे, वहां भी तूफान और भूकम्प आया था, वहां पर एक शहर में 2-3 सत्संगी परिवार रहते थे जो की सेवा पर भी नियमित जाते थे | वह बड़े ही गरीब थे, मुश्किल से रोटी तक का ही गुज़ारा हो पाता था | साध संगत जी अमीरी गरीबी तो सब पिछले कर्मो से मिलती है लेकिन ऐसे सतगुरु बाबाजी के रूप में हमें मिल जाएँ तो ऐसे ऊंचे नसीब सबके नाही होते | साध संगत जी , जो गरीब और बीमार है , सतगुरु उनके सबसे करीब होते हैं “ये बात पक्की है” उन लोगो की मदद करनी चाहिए | फिर साध संगत जी हुआ यूँ था, की बाबाजी का सत्संग समाप्त होने के बाद सारे सत्संगी सेवा करके सत्संग से घर लौटे और नाश्ता करके नियम के अनुसार भजन सिमरन पर बैठ गए और बच्चो को भी बैठाया | मालिक के अलावा उनकी संभाल करने वाला दूसरा कोई न था | फिर साध संगत जी क्या होता है थोड़ी देर बाद तूफान और भूकंप आना शुरू होता है और कुछ देर बाद बंद हो जाते हैं | उन्होंने समाचार वाला चैनल टीवी पर लगाया तो पता चला शाम तो फिर से तूफ़ान और भूकंप आने का अनुमान है | इस खबर के कारण उन्हें उस दिन कहीं पर भी काम न मिला, जिसके कारण शाम को खाने के लिए कुछ न था, तो उन्होंने पड़ोसियों से मदद मांगी , बोले आज कोई काम नहीं मिला , बच्चो के लिए कुछ खाने को नहीं है, कृपया कुछ मदद करदो , सरे पड़ोसियों ने धुत्कार दिया , पड़ौसी बोले अपने भगवान से मांगो आगे चलो |

साध संगत जी , ये सुनकर बहुत धक्का लगा , बाबाजी से अरदास करने लगे की हम तो भूखे रह लेंगे लेकिन बच्चे कैसे भूखे रहेंगे और फिर घर चल दिए | सारे परेशान थे , के बच्चो को क्या खिलाएंगे , फिर साध संगत जी शाम हुई तूफान आना शुरू हुआ साथ में भूकंप के झटके लगने शुरू हुए और रुकने का नाम नहीं लिया | साध संगत जी सारे लोग कीमती सामान लेकर अपने अपने घरो से बाहर निकल गए थे, लेकिन ये सत्संगी इतने निमाणे , इतने सीधे, की इन्हें ये भी नहीं पता की भूकंप आने पर घर से बाहर निकल कर सड़क पर आ जाना चाहिए| साध संगत जी पूरी कॉलोनी में उन्ही के माकन सबसे कच्चे थे , साध संगत जी क्या आप जानते हैं कि कोई भी बिपदा आने से पहले हमारे बाबाजी के पास जाती है और पूछती है के वहां आपकी संगत के घर हैं, मैं जाऊ या न जाऊ, बाबाजी हां करते है फिर बिपदा आती है | तो साध संगत जी फिर जो हुआ सुनकर आप हैरान रह जायेंगे | भूकंप और बढ़ गया सारे सेवादार भजन पर बैठ गए , भूकंप के झटके लगभग एक घंटे तक आते रहे , उनके सारे सामान गिरते रहे , लेकिन वे भजन सिमरन से न उठे , फिर भूकंप रुक गया और बच्चे खाना मांग रहे थे , खाने का इंतजाम करने के लिए जैसे ही घर से बहार आये, तो देखते हैं, दूर दूर तक सबके पक्के माकन गिरे हुए हैं , ये जो सत्संगी परिवार थे दूर दूर तक इनके ही मकान दिख रहे थे जिसकी एक ईंट तक न हिली थी | अब जिस जिसने उन्हें धुतकारा था एक रोटी के लिए, उन सब के होश उड़ गए थे और सोच रहे थे के हमारे पक्के माकन गिर गए और इनके कच्चे माकन की एक ईंट तक न हिली | सबके सर झुक गए बाबाजी की ताक़त देखकर | सतगुरु से अपने बच्चो की पीड़ा सहन नहीं होती | अब क्या था साध संगत जी बाबाजी ने बच्चो के खाने का भी तो इंतज़ाम करना था | अब क्या होता है, उनके घर पर बहुत सारे लोग आ जाते हैं और उनसे विनती करते हैं, की जितने चाहे पैसे लेलो, बस हमें अपने घर का एक कमरा देदो | हमारा परिवार कहाँ जायेगा | फिर क्या होता साध संगत जी इन सत्संगी फैमिली का अपने अपने घरो में एक एक कमरा खाली होता है और वो किराये पर दे देते हैं | और उन पैसो से बच्चो को खाना खिलते हैं | साध संगत जी , हमारे बाबाजी भला सत्संगियों को भूखा सोने देंगे, कभी नहीं | साध संगत जी वो तो दाता है हमेशा देते आये हैं हम लेने वाले तो बनें |

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